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नवभारत टाइम्स, नई दिल्ली, 23 जनवरी 2008
सभी धर्मो के धर्मगुरु अगर एक मंच पर आ बैठें तो सद्भाव और भाईचारा बढ़ाना मुश्किल नहीं होगा। यह कहना है पूर्व राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का। वह ग्लोबल फाउंडेशन फॉर सिविलाइजेशन हारमनी इंडिया (जीएफसीएच) द्वारा चिन्मय मिशन सभागार में दुनिया में भाईचारा बढ़ाने के मकसद से आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।कलाम ने आध्यात्मिक शक्ति की मदद से नैतिक मूल्य बढ़ाने के साथ-साथ गरीबी दूर करने की कोशिश करने का आह्वान भी किया।
इस मौके पर तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि ‘मैं’ और ‘मेरा’ जैसे आत्मकेंद्रित शब्द ही समस्या और विवाद पैदा करते हैं, जिससे हिंसा जन्म लेती है।
आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर ने वहां मौजूद लोगों को एक वृक्ष लगाने और भ्रूण हत्या रोकने का संकल्प दिलाया।
योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि जब दुनिया के आतंकवादी और भ्रष्ट एक हो सकते हैं तो धर्मगुरुओं और श्रेष्ठ लोगों का गठबंधन बनने में क्या दिक्कत है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा कि विवादों को दूर करने का उपाय बातचीत है, तर्क नहीं।
कार्यक्रम में जीएफसीएच के ट्रस्टी सुभाष चंद्रा के अलावा जोगिन्दर सिंह वेदांती, मुंबई के आर्चबिशप आदि भी शामिल हुए।